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सृजन का संकल्प एक विचार है

सृजन का संकल्प एक विचार है,

एक सोच है देश औरदेश के उन करोड़ों गरीबों, वंचितों जो अत्यंत तंगहालीमें जी रहे हैं, जिनके पास  कोई सामाजिक एवंआर्थिक सुरक्षा नहीं है,
उन्हें शिक्षा, स्वास्य्य एवं कौशलविकास के माध्यम से उनकी दशा और दिशा बदलनेका।

हमरा लक्ष्य

देश के देहातों, कस्बों, गावों में जहाँ उपयुक्त स्वास्थ्य एवं शिक्षा कीव्यवस्थाओं का अभाव है, वहां शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कौशल विकासको बढ़ाबा देने के लिए एक दीर्घकालिक संचालन तंत्र को स्थापितकरना।

हमारी परिकल्पना   

सृजन का संकल्प अपने अद्वितीय अभिकल्पित पाठ्यक्रमों एवंविशिष्ट शिक्षा के मापदंडों के माध्यम से गावों के गरीब बच्चों, छात्रोंके अंदर के छिपे प्रतिभाओं को ज्ञान के साझाकरण के माध्यम सेबाहर निकालना चाहता है
एक स्वाबलंबी एवं सशक्त समाज केनिर्माण के लिए। हमारी परिकल्पना है एक शिक्षित, साक्षर, स्वस्थएवं हुनरमंद समाज का निर्माण करना।

हमारे क्रिया कलाप

गावों, कसबों, छोटे शहरों में  गरीब बच्चों, छात्रों के बीच व्यवस्थ्तिढंग सेे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार करने तथा छात्रों में कौशलका  विकास करने हेेतु  हमारी सँस्था दवारा  वैज्ञानिक पद्धति सेअनेकों मापदंड तैयार किये गए हैं जो निम्नलिखित हैं।
सर्वे: हमारी संस्था के सदस्यों द्वारा तैयार किये गए प्रश्नावलियों कीसहायता से हम गावों, झुग्गी झोपड़ियों, कस्बों में रह रहे लोगों काआर्थिक, स्वास्थ्य एवं शिक्षा के पैमानों पर सर्वे करते हैं और
जो भीइन मापदंडों के आधार पर पिछड़े होते हैं उन्हें हमारी संस्था द्वारागोद लेकर ना सिर्फ शिक्षित किया जाता है बल्कि उनके स्वास्थ औरउनकी आर्थिक दशा को सुधारने के लिए अनेकों कार्य किये जाते हैं।   .

गावों को गोद लेना:  सर्वे के निष्कर्षों को पूर्ण रूप से छानबीनकरने के पश्चात अगले एक वर्ष की रुपरेखा तैयार की जाती है, जिसके माध्यम से शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में पिछड़ रहे ग्रामीणों,  छात्रों की दशा को सुधारा जाता है।   उसके पश्चात विभिन्न क्षेत्रों मेंअलग अलग  टीमों का गठन कर  शिक्षा केंद्र स्थापित किये जाते हैं  तथा उनके लिए फण्ड एवं आधारभूत संरचनाओं की व्यवस्था कीजाती है।

शिक्षा पर फोकस: शुरुआत में हम बच्चों के अनौपचारिक शिक्षापर ध्यान केंद्रित करते हैं।  उसके पश्चात हम उनके अभिभावकों/ माता पिता से संवाद स्थापित कर उन्हें उनके बच्चों को शिक्षा केंद्रोंजो  गोद लिए हुए गावों के आसपास ही स्थापित किया जाता है,  परभेजने हेतु समझाईस देते हैं। बच्चों के अक्ल/बुद्धि के आधार परहम कक्षाओं का वर्गीकरण करते हैं, तत्पश्चात उनको शिक्षकों द्वारापढ़ाने की रुपरेखा बनाई जाती है।  हमारी संस्था अपनी तय की गईरुपरेखा के अगले पड़ाव पर गोद लिए हुए गावों के अधिक सेअधिक बच्चों को शिक्षा केंद्रों के माध्यम से उन्हें पढ़ाती है।
बच्चों कोपढ़ाने के लिए हमारी संस्था स्नातकों को शिक्षक के रूप में नियुक्तिकरती है।

हमारे काम करने के तरीके:

सर्वे —  शिक्षा सभी को प्राप्त हो, यह हमारी संस्था का मूल उद्देश्यहै। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में खामियों को दूर करने के उद्देश्य सेहमारी संस्था –
सृजन का संकल्प स्थानीय स्तर पर अपने प्रतिनिधियोंके माध्यम से वर्तमान शिक्षा का स्तर एवं उससे जुडी समस्याओं कासर्वे करती है, जिससे कि हम वर्तमान  शिक्षा की समस्याओं की जड़तक पहुँच सकें तथा उसमें सुधार लाकर उत्तम एवं उच्च  गुणवत्तावाली शिक्षा लोगों तक पहुंचा सकें।

विश्लेषण –– सर्वे के निष्कर्षों को पूर्ण रूप से छानबीन करने केपश्चात अगले एक वर्ष की रुपरेखा तैयार की जाती है, जिसकेमाध्यम से शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्रों में पिछड़ रहे ग्रामीणों,  छात्रोंको उठाया जाता है।   उसके पश्चात विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग  टीमों का गठन कर  शिक्षा केंद्र स्थापित किये जाते हैं  तथा उनकेलिए फण्ड एवं आधारभूत संरचनाओं की व्यवस्था की जाती है।

परीक्षा के माध्यम से छात्रों का चयन – गावों, कस्बों में रहनेवाले सभी छात्रों के लिए हम सर्वप्रथम परीक्षाओं का आयोजन करतेहैं तथा परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर हम ऐसे छात्रों का चयनकर उनको शिक्षित करने के लिए करते हैं, जो गरीब हैं और जिन्हेंहमारी जरुरत है।  बांकी बचे  छात्र  जिनका चुनाव नहीं हो पाता, हमारी संस्था ऐसे छात्रों को भी अपने एक्सपर्ट्स के माध्यम सेसमय-समय पर उनको आगे की पढाई में सफल होने के लिएमार्गदर्शन देती रहती है।

हम क्यों कर रहे हैं ये सब?

स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट के वार्षिक सर्वे 2017 के अनुसार, ग्रामीण भारत में लगभग एक चौथाई अवयस्क बच्चों को रुपयागिनना नहीं आता, जबकि वो स्कूल में कई सालों से पढ़ रहे होते हैं।यह देखते हुए  क़ि देश की 65 प्रतिशत आबादी गावों में निवासकरती है, ग्रामीण भारत में हम शिक्षा  के महत्व की अनदेखा नहींकर सकते। हमारी संस्था द्वारा चलाया जा रहा सक्षम भारतअभियान इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश के छोटे शहरों, गावों मेंशिक्षा का प्रसार कर रहा है ताकि कोई भी बालक, छात्र विषमआर्थिक एवं गरीबी के कारण शिक्षा से वंचित ना रह सके।
यूनाइटेड नेशन के वर्ष 2014 के ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट (मानवविकास सूचकांक) के अनुसार, भारत पुरे विश्व के 187  देशों कीसूची में मानव विकास सूचकांक में 135वे स्थान पर था, वहीँ जन्मके समय बच्चे का अनुमानित जीवन काल 66.4  वर्ष आंका गयाथा।

दूसरी तरफ देश में 2014 के ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट केअनुसार,  पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों का मृत्यु दर 56 प्रति1000
था तथा माताओं का मृत्यु दर प्रति एक लाख की जनसँख्यापर 200 था, जो विश्व के अन्य विकसित एवं विकासशील देशों कीतुलना में काफी अधिक है। हमारी संस्था द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य भारत अभियान का मुख्य उद्देश्य है ग्रामीण भारत में रह रहेहर व्यक्ति को आधारभूत स्वास्थ्य सेवाओं का  सरकार एवं अन्य गैरसरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभ दिलाना, विशेष  कर उनक्षेत्रों में जहाँ प्रारंभिक स्वास्थ्य सेवाओं भी उपलब्ध नहीं हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2025  तक भारत में काम करने वाले गों की संख्या पुरे विश्व में सबसे अधिक होगी, जिसमें वर्ष 2020 तक अंग्रेजी में बात करने वाले लोगों की संख्या 2  अरब तक पहुँच जाएगी। इसी दरमियान
पुरे विश्व में 56.5 मिलियन कौशल प्राप्त लोगों की कमी  महसूस की जाएगी, वहीँ भारत में ऐसे लोगों की संख्या 47 मिलियन आंकी गई है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार,देश में अभी भी 30 % युवाओं के पास ना तो कोई  रोजगार है  औरना ही वो शिक्षित हैं। हमारी संस्था सृजन का संकल्प  अपने निपुण भारत अभियान के तहत ग्रामीण भारत के ऐसे हजारों, लाखों युवाओं में उनके अभिरुचि के अनुरूप  कौशल का विकास कर उन्हें हुनरमंद बनाना चाहती है, जिससे कि उन्हें उनके कौशल के हिसाबसे उपयुक्त रोजगार प्राप्त हो सके और वो आर्थिक   रूप सेस्वाबलंबी बन सकें।

हमारी परियोजनाएं :

निपुण भारत  अभियान
आज के बदलते आर्थिक माहौल में यह आवश्यक है कि हम इंडस्ट्रीज की मांग के अनुसार युवाओं में समय एवं जरूरतों की मांगके अनुसार उनमे  उपयुक्त कौशल का विकास करें।
बावजूद इसके कि सरकार द्वारा  शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए विशेष  जोड़ दिया जा रहा है, हमारे देश में उद्योगों की मांगों एवं जरूरतों केअनुसार स्किल्ड (कौशल से परिपूर्ण) लोगों की संख्या  बहुत कम है।देश में नौकरी की कमी नहीं है बल्कि नौकरियों के लिए उपयुक्त स्किल्ड  लोगों का अभाव है।  नेशनल स्किल्स डेवलपमेंट सेंटर केअनुसार, भारत में 2022 तक 21 उच्च संभावनाओं वाले ग्रोथ सेक्टर्स में 347 मिलियंस स्किल्ड  लोगों की जरुरत होगी।  आने वाले दशक में इस संख्या में हर वर्ष 12  मिलियंस लोग और जुड़ते जाएंगे।फिलहाल देश में 4.3 मिलियन लोगों में ही कौशल के विकास करने की  क्षमता है जो स्किल्ड मैनपावर की  मात्र 36 प्रतिशत जरूरतों को ही पूरा कर  ता है, बांकी 64% युवाओं को  कौशल विकास की ट्रेनिंग नहीं मिल पाती।

सृजन का संकल्प देश में स्किल्ड  युवाओं की जरूरतों को पूरा करने में अपनी छोटी सी जिम्मेदारी निभाते हुए, गावों, पिछड़े क्षेत्रों के युवाओं, छात्र  एवं छात्राओं में उद्योगों की जरूरतों के अनुसार, उनमें एक्सपर्टस एवं कौशल प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से उनके  रूचि नुरूप कौशलों का विकास कर रहा है, जिससे क़ि अधिक सेअधिक  युवाओं को रोजगार मिल सके और वे आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बन सकें।   सरकारी क्षेत्रों में  नौकरी के अवसर की कमी को देखते हुए  पिछले कुछ वर्षों में कौशल विकास एवं कौशल  धारित नौकरियों कामहत्व काफी बढ़ गया है क्योंकि आजकल कंपनियां  हुनरमंद युवकों, छात्रों को जिन्होंने  उद्द्योगों की जरूरतों के अनुरूप  शल को प्राप्तकिया है, नौकरी देने के मामले में प्राथमिकता देती हैं। सृजन की टीम सरकार के महत्वाकांछी कौशल विकास कार्यक्रम में अपनी सहभागिता निभाते हुए स्थानीय  द्योगों की जरूरतों के अनुसार, क्षेत्र के विद्यालओं का भ्रमण कर ऐसे  छात्रों को तलाशती है जो अपनी रुचियों के अनुसार हुनर प्राप्त करना चाहते हैं।तत्पश्चात स्थानीय प्रशासन के  सहयोग से सम्बंधित उद्योगों में उनकी रुचियों के अनुसार इन छात्रों को हुनरमंद  नाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम काआयोजन करती है और फिर स्थानीय उद्योगों  में उनके स्किल के आधार पर उन्हें नौकरी दिलवाने में  मदद करती है।

सक्षम भारत अभियान
यद्द्यपि पिछले कुछ सालों में देश में विश्वविद्यालयों, शिक्षण सस्थानों की  संख्या में काफी वृद्ध हुई है, शिक्षा के  गुणवत्ता में सुधार की अभी भी काफी  गुंजाइस है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र अनेकों अवरोध हैं।शिक्षण संस्थानों में आधारभूत  संरचनाओं, प्रयोगशालाओं, योग्य क्षकों की कमी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बाधा बनी हुई है।

गावों के स्कुलों में शिक्षा की गुणवत्ता को

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