•Suबह से ही माहोल बहुत अच्छा था . हम से पहले छात्र सत्कार वाटिका पहुच चुके थे. इस कार्यक्रम की सफलता के लिए मै, रवि, सुशील और राजेंद्र सुबह सुबह चोप्रा मंदिर भी गए थे . उसके बाद जब हम सत्कार वाटिका पहुचे तो कुछ विशेष कारणों बस हम १५ मिनट लेट हो गए थे . वहा पहुचकर हमने देखा की छात्र तो आ चुके है पर गेस्ट नजर नहीं आ रहे थे इसलिए हमने तुरंत निबंध लेखन प्रारंभ कर दिया. २५ मिनट की इस प्रतियोगिता में लोगो ने बहुत बढ़ चढ़कर भाग लिया . इसके बाद भी हमने पाया की सरे गेस्ट अभी नहीं आये थाई तो हमने वाद- विवाद प्रतियोगिता आरम्भ करा दी. जिसका विषय छात्रों को वही बता गया . विषय था कौनसी सासन पद्धति अच्छी है .. लोकतंत्र या तानाशाही . इस विषय पर बोलने के लिए ४ मिनट का समय और प्रश्नोत्तर के लिए १ मिनट का समय दिया गया था. जब छात्र प्रशन नहीं पूछ रहे थे तो मैंने बोला की अगर आप प्रश्न नहीं पूछेगे तो इनको इस भाग के पूरे अंक मिल जायेगे . फिर क्या था छात्र हो या जज सभी प्रश्न पूछ रहे थे .इस वाद विवाद प्रतियोगिता ने केवल छात्रों में बल्कि निर्णयको को भी जोश से भर दिया था . मैंने भी बीच – बीच मे प्रशन प्रहरकर बतया की प्रशन किस तरह पूछे जाते है और इसकी मुझे निर्णयको द्वारा प्रशंशा भी मिली . जैसे ही वाद – विवाद ख़तम हुआ हमने ३० मिनट के अन्दर कार्यक्रम का उद्घाटन करवा दिया . इसके बाद हमने कहानी लेखन का आगाज किया . इसमें छात्रों को चित्र देखकर उसके ऊपर कहानी लिखनी थी, चित्रों को देखकर तो हमरा निर्णायक मंडल आपस मे ही विचार विमर्श कर रहा था की कितने चिंतनशील चित्र है इन पर तो हजारो कहानिया लिखी जा सकती है . इसके बाद हमने चायकाल कर दिया . इसी समय हमने मिके पर बोल दिया की इसके तुरंत बाद गणित दोड़ यानि पुज्ज़ेल्स होगी . जब हमने इस प्रतियोगिता के बारे में छात्रों को बताया तो वो चाय पीने ही नहीं जा रहे थे फिर हमारे बोलने पर की चायकाल के बाद ही ये प्रतियोगिता शुरू होगी तभी वो सब वहा से हटे. इसके बाद हमने बहार मैदान मे इस प्रतियोगिता के लिए वयस्था की और सारे अतिथियों को भी वही बुला लिया . इसमें लगभग ५० छात्रों और १० छात्राओ ने भाग लिया . आप इसी से इस प्रतियोगिता की सफलता का अंदाज लगा सकते है . सभी देखने वाले बस तालिय बजा रहे थे . ऐसा लग रहा था की इस तरह की प्रतियोगिता सब लोग पहली बार देख रहे है . जब तक मै इस प्रतियोगिता को समाप्त करता सुशील ने विशाल कक्षा के अन्दर लोगो से सामान्य ज्ञान के प्रश्न पूछने शुरू कर दिए थे और सही उत्तर देने वलो को रवि चौकलेट दे रहा था . जैसे ही गणित दौड़ ख़तम हुई हमने प्रश्नमंच प्रतियोगिता और पेंटिंग दोनों एक साथ अलग अलग रूम में शुरू कर दी .एक और जहा पेंटिंग में लोगो ने अपनी सपनो को सजाया वही दूसरी और प्रश्नमंच प्रतियोगिता में चार विधालयो की टीमो ने भाग लिया . इसके बाद हमे कम्पयूटर द्वारा प्रश्नमंच प्रतियोगिता का संचालन कुछ इस अंदाज में किया की देखने वाले खूब जोर – जोर से तली बजा बजाकर अपनी अपनी टीमो का उत्साहवर्धन कर रहे थे . इस प्रतियोगिता के अंतिम चक्र में लोगो को तस्वीर देखकर उस जगह का नाम बताना था.इस चक्र मै भी खूब मजा आया . इस अंतिम चक्र के द्वारं हमने अपने पत्रकारों का भी स्वागत किया . इसके प्रतियोगिता के तुरंत बाद हमने भोजन के लिए सबको आमंत्रित किया . और फिर इसके बाद तो सुर का जो समां बधा वो तो देखने लायक ही था . गायन के पहले चक्र में संचलन निगम भाई ने किया . बीच – बीच में दर्शको ने उनके सेर और सायरी का भी खूब आनद उठाया . इसके बाद कुछ विशिष्ठ लोगो ने अपने मार्ग दर्शन दिए . इसके बाद शुरू हुआ नृत्य का महा मुकाबला . इसका संचालन मैंने खुद किया और जनता ने मेरे साथ झूम -झूमकर खूब तालिया बजा बजाकर प्रतियोगियों का उत्साह वर्धन किया . ऐसा लग रहा था की सारा हॉल झूम रहा है , फिर चाहे वो प्रतियोगी हो , दर्शक हो या स्वयं अतिथि गण. जैसे ही इस नृत्य प्रतियोगिता का समापन हुआ. हमे पता चला की पहले स्थान के लिए टाई हो गया है . फिर क्या था एक बार फिर से पूरा हॉल झूम उठा . एक बार फिर बारी थी , न्रत्य कला के बीच घमासान की . सबने खूब आनद उठाया . इस प्रतियोगिता के समाप्त होते ही सुशील ने सबको संकल्प फॉर ideal 13 के बारे में बताया तो सारे छात्र छात्राओ के साथ सभी प्रधानाचार्यो और अध्यापको के साथ पत्कारो ने भी ताली बजाकर इस होने वाली प्रतियोगिता का स्वागत किया . इसी के साथ ही हमे आये हुए सभी अतिथियों को फोटोफ्रम देकर सम्मानित किया . अरे अभी रूकिये ये कैंप का समापन नहीं था . इसके बाद हुआ ज्ञान का आखरी चरण .इसमें प्री से टॉप ५ छात्रों को चुना गया था . अब भी संचालन मै ही संभाले हुए था. एक बार फिर म्यूजिक मस्ती शुरू हो गयी थी . मुझे तो ऐसा लग रहा था की अगर मै छात्रों से कह दू की सब कुर्सी छोड़कर नाचने लगो तो सभी नाचने लगते , पर वयवस्था को सही बनाये रखने के लिए हमने उनको तोधा काबू में रखा. इस प्रतियोगिता के बाद पुरस्कार वितरण समारोह हुआ .जिसमे सचालन की कमान नगायच जी ने संभाली . इसके बाद तो बस मै , सुशील और रवि , सभी छात्रों के साथ म्यूजिक पर नाच रहे थे . इसी समय क्लब के सारे सदस्यों ने एक दुसरे को बधाई देना शुरू किया . •कार्यक्रम के समापन पर सभी बहुत खुश थे . चाहे मेंटर हो या आम जनता , कोई तारीफ किये थक ही नहीं रहा था . हम लोगो को बहुत सारे लोगो ने आकर मुबारकवाद भी दिया.हम लोगो की ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं था .
Very nice !